लेखनी प्रतियोगिता -04-Dec-2022 आत्मसम्मान
दुनिया की इस भीड़ में बंधु अपना अस्तित्व न खोना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
धन दौलत ना टिकी एक जगह, आती है और जाती है
सत्ता प्रतिष्ठा की मीनारें क्या स्थिर रह पाती हैं
"स्वाभिमान" रूपी दामन का रखना साथ बिछौना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
"जीओ और जीने दो" का एक मूल मंत्र ना बिसराना
इज्जत दो हर एक जीव को फिर सबसे इज्जत पाना
आत्मसम्मान बचा कर रखना चाहे सब कुछ खोना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
दुनिया की इस भीड़ में बंधु अपना अस्तित्व न खोना तुम
जब तक सांस चले जीवन में आत्मसम्मान ना होने पाए गुम
श्री हरि
4.12.22
Punam verma
05-Dec-2022 06:27 AM
Nice
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Dec-2022 06:44 AM
💐💐🙏🙏
Reply
Pratikhya Priyadarshini
04-Dec-2022 09:33 PM
Nice 👌🌺
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Dec-2022 06:44 AM
💐💐🙏🙏
Reply
Gunjan Kamal
04-Dec-2022 05:04 PM
वाह बहुत खूब
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Dec-2022 06:43 AM
💐💐🙏🙏
Reply